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शुभ संध्या मित्रों.....

जल्दी ही मध्य प्रदेश में राजस्व बिभाग के अंतर्गत मार्च में होने वाली पटवारी परीक्षा हेतु विज्ञप्ति जारी की जायेगी....

भू अभिलेख एवं बंदोबस्त कार्यालय द्वारा इस परीक्षा का सिलेबस इस प्रकार दिया गया है :-

१- सामान्य ज्ञान
२- सामान्य गणित एवं सामान्य अभिरुचि
३- सामान्य हिंदी
४- सामाजिक व्यवस्था
५- ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवं पंचायती राज
६- कंप्यूटर दक्षता

अब ध्यान देने वाली बात ये है कि देखने में ये सिलेबस भले ही छोटा लगे मगर ये है बहुत बड़ा है , क्योंकि

१- सामान्य ज्ञान - इसके अंतर्गतभारतीय इतिहास (प्राचीन, मध्यकालीन , आधुनिक ),भूगोल (खगोलकी, विश्व एवं भारत का ),अर्थशास्त्र (विश्व एवं भारत का ),
सामान्य विज्ञान ( जीव विज्ञान , रसायन , भौतिकी, वनस्पति विज्ञान , जंतु विज्ञान, पर्यावरण आदि )
समसामयिकी ( पिछले एक वर्ष की गतिविधिया )
खेल जगत ( प्रतियोगिताये , मैदान , नियम , खिलाडी , परिणाम आदि )
विविध ( विश्व एवं भारत में प्रथम , पुरष्कार एवं सम्मान, छोटा-बड़ा, ऊँचा-नीचा , संगठन-मुख्यालय , दिवस आदि )

इसी तरह सामान्य गणित एवं सामान्य अभियोग्य्ताओ के अंतर्गत- सरलीकरण, संख्या पध्दति, भिन्न, लघुत्तम-महत्तम समापवर्तक, घातांक, प्रतिशत , लाभ -हानि , साधारण व्याज , चक्रवार्द्धि व्याज, औसत, अनुपात एवं समानुपात, साझेदारी, मिश्रण, समय एवं काम , नल और टंकी , समय-चाल और दूरी , क्षेत्र मिति
त्रिकोणमिति , ज्यामिति,बीजगणित, क्रमचय-संचय, प्रायिकता , अनुक्रम , घडी , कैेलेंडर, सांख्यिकी, बट्टा, जोड़-घटाव, गुणा-भाग आदि...

सामान्य हिंदी में

वर्णमाला, संज्ञा, सर्वनाम , क्रिया, विशेषण , काल , वचन , लिंग , वाक्य रचना, संधि, समास , छंद , रस, अलंकार , काव्य , काव्य के प्रकार , शब्द शक्ति , मुहावरे-लोकोक्तियाँ ,पर्यायवाची शब्द, समानार्थी शब्द , विलोम शब्द, अनेकार्थ शब्द , अनेक शब्दों के एक शब्द ,साहित्यिक रचनाये एवं काल आदि

इस तरह देखा जाये तो छोटा दिखने वाला ये सिलेबस बहुत बड़ा हो जाता है , और इसकी तैयारी के लिए मात्र दो माह का समय मिला है , जो कि बहुत कम है । अतः अब परीक्षार्थियों को बहुत सही ध्यान से चयनात्मक तरीके से अधिक परिश्रम करना होगा । क्योंकि अगर परीक्षार्थी पूरा सिलेबस पढने कि कोशिश बकरते है , तो असंभव है । सबसे सही तरीका चयनात्मक पढाई होगी ।  इसके लिए सही और सार्थक मार्दर्शन कि जरुरत होगी । .....

हमारी कोशिश रहेगी की आपको ग्रुप के माध्यम से सही मार्गदर्शन मिले....मैं क्रमश: धीरे धीरे सम्पूर्ण पाठ्य सामग्री प्रस्तुत करूगा...ताकि आप भटकाव से बचे...आप विश्वास बनाये रखे...
धन्यबाद!.......
अध्ययन सामग्री  इस प्रकार होगी.......

१-*भारत में ग्रामीण विकास कार्यक्रम

- भारत में सर्वप्रथम 'सामुदायिक विकास कार्यक्रम ' २ अक्तूबर १९५२ में पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा प्रारंभ किये गये थे ।विशेषज्ञों का मानना था , कि देश में एक ऐसा संगठन स्थापित किया जाये जिसका मुख्य उद्देश्य सर्वांगीण ग्रामीण विकास हो एवं इस उद्देश्य को प्राप्त करने में सभी देश वासियों का सहकारिता के आधार पर सहयोग हो ।इस कार्यक्रम के निर्माण में तीन अमेरिकी विशेषज्ञों डगलस अन्सिमगर, चेस्टर बऊल्स और कार्ल टेलर का योगदान था ।

- सघन कृषि जिला कार्यक्रम १९६०-६१ में शुरू किया गया

- लघु कृषक विकास योजना १९६७ में प्रारंभ हुई ।
- सूखाग्रस्त क्षेत्र कार्यक्रम १९७३ में आरम्भ हुआ ।

-मरुस्थल विकास कार्यक्रम १९७७-७८ में शुरू किये गये ।
- राष्ट्रीय कृषि अनुसन्धान परियोजना का श्रीगणेश १९८८ में हुआ ।
- राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम १९९५ से प्रारंभ हुए ।
- ग्रामीण रोजगार सर्जन कार्यक्रम का आरम्भ १९९५ में हुआ ।
- जवाहर ग्राम सम्रद्धि योजना कि शुरुआत १९९९ से हुई ।
- स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से १९९९ से शुरू हुई।
- भारत सरकार ने २००० में अन्नपूर्णा योजना प्रारंभ की।
- अन्त्योदय अन्न योजना २००० में केंद्र सरकार द्वारा शुरू हुई । इसमें गरीबी रेखा से नीचे के लोगो को२ रूपये किलो गेंहू और ३ रूपये किलो चावल दिए जाते है ।
- सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना २००१ में केंद्र सरकार ने राज्यों के सहयोग से शुरू की ।
- प्रधान मंत्री ग्रामोदय योजना २०००-०१ में शुरू हुई।
- काम के बदले अनाज का राष्ट्रीय कार्यक्रम २००४ में शुरू हुआ ।
- २००५ में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) का शुभारम्भ हुआ , जिसका नाम २००९ में महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) कर दिया गया । इस अधिनियम के अंतर्गत बेरोजगार लोगो के उनके क्षेत्र के आस पास ही १०० दिन के रोजगार की गारंटी दी जाती है ।

२--पंचायती राज : महत्वपूर्ण तथ्य

पंचायती राज व्यवस्था भारत की अपनी मौलिक व्यवस्था है ।और इस तरह की प्रणाली सिर्फ भारत में ही पाई जाती है ।
स्वतंत्र भारत में २ अक्तूबर १९५९ को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के द्वारा राजस्थान के नागौर जिले से पंचायती राज की शुरुआत की गयी ।
पंचायती राज व्यवस्था के सुधार के लिए गठित समितियां :-
बलबंत राय मेहता समिति - १९५७ अशोक मेहता समिति - १९७७ पी० वी० के० राय समिति -१९८५ लक्ष्मी मल सिंघवी समिति - १९८६
भारतीय संविधान में पंचायती राज की जानकारी राज्य के लिए नीति निर्देशक तत्वों के अंतर्गत अनुच्छेद ४० में दी गयी है ६४ वाँ संविधान संशोधन- १९८९ ७३ वाँ संविधान संशोधन - १९९३
७३ वाँ संविधान संशोधन पंचायती राज से सम्बंधित है ।इसके द्वारा संविधान के भाग ९ अनुच्छेद २४३ तथा अनुसूची ११ का प्रावधान किया गया है ।
बलबंत राय मेहता समिति के सुझाव पर भारत में त्रिस्तरीय ढांचे का प्रावधान किया गया......

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